Wednesday, January 27, 2016

रोहित वेमुला मौत:परत दर परत पूरी कहानी

रोहित वेमुला मौत:परत दर परत पूरी कहानी, पूरा ऐंगल

Friday, January 22, 2016, 12:22BUREAUCRACY, CORPORATE, HEADLINE, OTHER'S VOICE2 comments

 वरिष्ठ पत्रकार निखिल आनंद दलित छात्र रोहित वेमुला से जुड़े विवाद, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी व बंडारु दत्तात्रय की भूमिका और  रोहित की मौत की परत-दर परत खोल रहे हैं.

रोहित चक्रवर्ती वेमुला उर्फ रोहित नाम का 26 साल का युवा फाँसी के फंदे पर झुलकर जान दे देता है। इस घटना के बाद दो धाराओं में बहस चल पड़ती है जो देश की सामाजिक पृष्ठभूमि को जानने- समझने के लिये काफी है। एक सवर्णवादी धारा रोहित को कायर, बुजदिल, अतिवादी, देशद्रोही और आरोपी करार दे रही है तो दूसरी बहुजनवादी धारा उसे क्रांतिकारी, दलित नायक, शहीद और सामाजिक न्याय का नायक और पीड़ित बता रहा है।

अगर रोहित जीवित होता तो 30 जनवरी, 2016 को जिन्दगी के 27 साल का जश्न मना रहा होता।

भारत सरकार के श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय के लिखे पत्र और शिक्षामंत्री स्मृति इरानी के अग्रसारित पत्र के अनुसार रोहित एक अतिवादी, जातिवादी और राष्ट्रद्रोही मुहिम का हिस्सा था। लेकिन इन आरोपों का गंभीरता से विश्लेषण करें तो अतिवादी होना एक स्वभाव एवं विचारधारा से जुड़ी बात है वहीं जाति इस भारत भूमि पर पैदाइश से जुड़ी सामाजिक हकीकत।

कौन है जातिवादी

यूँ इस देश में कट्टर अतिवादी होने के नाम पर हिन्दू हो या मुसलमान किसी को भी अकारण ही बिना अपराध के सजा दिये जाने के कारण नहीं बनता हैं। पर जिस देश में समाज की मूल अवधारणा ही जाति पर बनी हो, किसी को जातिवादी करार देना कोई बड़ी बात नहीं है। रोहितअगर दलित या पिछड़ा होते हुये जातिवादी था तो उसके विरोध मेंखड़ी पूरी जमात कोई सामाजिक क्रांति के अग्रदूतों की नहीं बल्किस्वाभाविक तौर पर सवर्ण– मनुवादी– ब्राह्मणवादी औरजातिवादी ही दिखाई देती है।

याकूब मेमन को मिले फाँसी की सजा के विरोध में लोकतांत्रिक तरीके से पक्ष रखना अगर अपराध है तो देश में संविधान, कानून, पुलिस- प्रशासन भी है।  फिर याकूब मेमन या अफजल गुरू का जिसने मुकदमा लड़ा हो तो उन सबको क्यों न फाँसी पर लटका देना चाहिये।

दो मंत्रियों की भूमिका

रोहित पर लगे आरोप उसके विरोधियों के राजनीतिक बचाव के लिये मायने जरूर रखते होंगे लेकिन अब वो दुनिया में नहीं है तो उसके परिवार एवं समर्थकों के लिये जानना महत्वपूर्ण है कि उसकी मौत क्यों, कैसे, हुई। इसकी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिये लेकिन निष्पक्ष जाँच कैसे संभव होगी यह भी सवाल है क्योंकि इसमें केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के दो मंत्री स्पष्ट तौर पर और तकनीकी रूप से शामिल है।

दत्तात्रय व ईरानी की चिट्ठी

इस घटना आलोक में बंडारू दत्तात्रेय को स्मृति इरानी को लिखे गये एक पत्र में विश्वविद्यालय को 'अतिवादी- जातिवादी- राष्ट्रद्रोही राजनीति का गढ़'  एवं कुलपति को मूकदर्शक घोषित करते हुये सख्त कार्रवाई करने को कहा था। फिर इसी को आधार बनाकर स्मृति इरानी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को -वीआईपी- नोटिंग कर 5 पत्र लिखे जो साबित करते हैं कि एक बड़े स्तर का राजनीतिक दबाव जो हस्तक्षेप ही नहीं बल्कि इस पूरे मामले को निर्देशित किया जा रहा था।

केन्द्रीय मंत्रियों बंडारू एवं स्मृति के बढ़ते दबाव ने नि:संदेह कुलपति को दलित छात्रों के खिलाफ कार्रवायी को बाध्य कर दिया। रोहित को भगोड़ा और कायर घोषित करने वाले लोगों के लिये यह जानना जरूरी है कि अपनी मौत के दो हफ्ते पूर्व से वह विश्वविद्यालय कैम्पस के बाहर टेन्ट में रहने को बाध्य था और उसका 25 हजार रूपये का पीएचडी रिसर्च फेलोशिप जुलाई, 2014 से नहीं दिया जा रहा था।

पत्र लिखा कर रोहित ने की थी जहर की मांग

अपनी मृत्यु के पूर्व रोहित ने एक पत्र छोड़ा था जिसकी चर्चा आम है लेकिन इसके एक महीने पूर्व दिसम्बर में उसने कुलपति को लिखे अपने पत्र में न्याय न दिये जाने की स्थिति में जहर या फाँसी का फंदा देने की अपील की थी। इस पत्र में उसने खुद को 'दलित आत्मसम्मान मुहिम' का सदस्य बताते हुये अपनी तरह के छात्र जो विश्वविद्यालय परिसर में लगतार चल रहे आम उत्पीड़न के माहौल से परेशान है मुक्ति की नींद सुला देने की गुजारिश की थी। इस पत्र की भाषा जाहिर करती है कि किसी जोश या होश खोकर लिखा गया नहीं है बल्कि बेहद संवेदनशील उदगार है जो विश्वविद्यालय परिसर के बहुजन विरोधी माहौल को उजागर करते हैं।

ये रही पहली जांच, ये रही दूसरी

रोहित अम्बेदकर स्टुडेन्ट एसोशियेशन नामक संगठन के उन पाँच छात्रों में शामिल था जिन्हें एबीवीपी कार्यकर्ता की पिटाई के मामले में विश्वविद्यालय से सस्पेंड किया गया था। इस संबंध में विश्वविद्यालय के द्वारा गठित विशेष जाँच समिति ने इन छात्रों को आरोप मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर बंडारू दत्तात्रेय को अपने पक्ष खड़ा किया। फिर बंडारू ने स्मृति और स्मृति के कुलपति को हड़काने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे चार महीने के उपरांत मामले में अपने ही फैसले पर पुनर्विचार किया और संबंधित दलित छात्रों को हॉस्टल, कैन्टीन, कैफेटेरिया सहित कैम्पस बहिष्कृत कर दिया।

जब ये छात्र बाहर निकाले जा रहे थे तो पूरा एबीवीपी संगठन अपनी जीत का जश्न मनाते हुये तालियाँ बजाकर उन्हें चिढ़ा रहा था। विश्वविद्यालय से इन छात्रों को सिर्फ निकाला नहीं गया था बल्कि जातिवादी मानसिकता के तहत सामाजिक तौर पर बहिष्कृत किया गया था। 21वींसदी सामाजिक बहिष्करण के सिद्धांत को समझना तो जरूर आसान है जब विश्वविद्यालयों में सोशल एक्सक्लूजन सेन्टर खोले जा रहे हैं। रोहित पर कार्रवाई में जिस एबीवीपी कार्यकर्ता संदीप को पीटने का आरोप था उसके बारे में यह बात साफ हो गई हैं कि घटना के दो दिनों के बाद उसके एपेन्डिक्स का ऑपरेशन हुआ जिसें यह रहस्य खुलने तक संगीन मामला बनाकर आरोपी छात्रों के खिलाफ पेश किया गया था।

 

असल लड़ाई को दलित बनाम पिछड़ा बनाने का खेल

यह भी खबर पेश की जा रही है कि रोहित दलित नहीं पिछड़ा है या फिर उसकी माँ पिछड़ी जाति से है और पिता दलित है। उसी तरह बंडारू दत्तात्रेय के कभी दलित या फिर पिछड़ा (यादव) होने को प्रचारित किया जा रहा है। जाहिर है दलित बनाम दलित, पिछड़ा बनाम पिछड़ा या दलित बनाम पिछड़ा की स्थिति पैदा कर रोहित की मौत से उभरे सवालों को संघ- बीजेपी दफन करने की जी-तोड़ कोशिश में लगी है।

फिलहाल माँ- बाप ने एक होनहार क्रांतिकारी मिजाज बेटा खोया और शोषित (दलित या पिछड़ा) समाज के अपना एक नेतृत्वकर्ता युवक खो दिया। जाहिर है कि देश ने कुछ भी नहीं खोया होगा क्योंकि देशभक्ति का प्रमाण-पत्र बाँटने की ठेकेदारी कर रही पार्टी के गुर्गों की परिभाषा के दायरे में रोहित देश विरोधी था जिसकी परिणति वे मौत मानते हैं।
जय भीम नमो बुद्धाय

No comments:

Post a Comment

Popular Posts

Blog Archive

Ad

For Donations

यदि डॉ भीमराव आंबेडकर के विचारों को प्रसारित करने का हमारा यह कार्य आपको प्रशंसनीय लगता है तो आप हमें कुछ दान दे कर ऐसे कार्यों को आगे बढ़ाने में हमारी सहायता कर सकते हैं। दान आप नीचे दिए बैंक खाते में जमा करा कर हमें भेज सकते हैं। भेजने से पहले फोन करके सूचित कर दें।

Donate: If you think that our work is useful then please send some donation to promote the work of Dr. BR Ambedkar

Deposit all your donations to

State Bank of India (SBI) ACCOUNT: 10344174766,

TYPE: SAVING,
HOLDER: NIKHIL SABLANIA

Branch code: 1275,

IFSC Code: SBIN0001275,

Branch: PADAM SINGH ROAD,

Delhi-110005.

For inquiries call: 8527533051 sablanian@gmail.com