Monday, February 8, 2016

मनुवादी शोच पर अम्बेडकरवाद हावी

"मनुवादी शोच पर अम्बेडकरवाद हावी"
आज मेरे स्कूल GSSS धोलू (फतेहाबाद) मे गणतंत्र दिवस को सविधान दिवस का रुप देकर इस दिन को पूर्ण रुप से बाबा साहेब को समर्पित कर दिया l हम चाहते थे कि सरस्वती की जगह बाबा साहेब की फोटो पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम शुरू हो लेकिन मनुवादी अध्यापकों और प्राध्यापकों ने ऐसा नही होने दिया जिसका हमने करारा जबाव दिया हंगामा हुआ और इस दौरान हमने उपस्थित ग्राम पंचायत जिसमे कुछ SC के पंच और BC के सरपंच को विश्वास मे लेकर आज के दिन की वास्तविकता और बाबा साहेब के योगदान बारे विस्तार से समझाया और बताया कि बाबा साहेब के सविधान कि बदोलत आज गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है और ये मनुवादी लोग उनकी फोटो तक नही लगवाना चाह्ते जिससे प्रभावित होकर सरपंच महोदय ने पूरी पंचायत को विश्वास मे लेकर हजारों लोगों की उपस्थिति मे मंच पर जाकर ये घोषना कर दी कि ग्राम पंचायत अपने खर्चे पर इस स्कूल के प्रागण मे बाबा साहेब की प्रतिमा की स्थापना करवायेगी l बाबा साहेब और समाज की ताकत ने हमे होंसला दिया और आने वाले कुछ दिनो मे मेरे (Govt.School) मे बाबा साहेब की बहुत बड़ी प्रतिमा होगी 
🙏🏻जय भीम 🙏🏻
सुखदेव भुक्कल

नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती का हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का दौरा

नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती का हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का दौरा ।
28 जनवरी को नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष मान्यवर अशोक भारती ने रोहित वेमुला की मौत पर चल रहे आंदोलन को समर्थन और आंदोलन की भावी रणनीति बनाने के लिए हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का दौर किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, जनजाति कर्मचारियों की असोसीएशन, टीचिंग स्टाफ़ की असोसीएशन व छात्र आंदोलन में शामिल विभिन्न विद्यार्थी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाक़ात की। 
उन्होंने विश्वविद्यालय में आंदोलनकारियों को सम्बोधित किया और अनेकों TV चैनलों को सम्बोधित किया।
उन्होंने आंदोलनकारी विद्यार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए विद्यार्थियों और अध्यापकों की माँग का पूरा समर्थन करते हुए निम्नलिखित माँगे कीं:
1. द्रोणाचार्य पुरस्कार का नाम बदलकर रोहित वेमुला पुरस्कार किया जाए। 
2. सरकारी कोष से चलने वाले प्रत्येक कॉलेज या विश्वविद्यालय को मिलने वाले वित्तीय संसाधनों पर तब तक रोकें जाए जब तक वह टीचिंग और नान-टीचिंग पदों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का कोटा पूरा ना कर दें।
3. उच्च शिक्षा की व्यवस्था का पूर्ण ओवरहॉल हो और इसे अनुसूचित जातियों, जनजातियों और ग्रामीण विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुरूप ढाला जाए।
4. नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रोहित वेमुला
के नाम पर विद्यार्थी नेताओं के लिए एक सालाना पुरस्कार की स्थापना की घोषणा की जिसके नगद राशि, एक सम्बोधन और एक स्मृति चिन्ह देने की घोषणा की। प
उन्होंने हैदराबाद में दलितों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाक़ात की। और एक प्रेस कॉन्फ़्रेन्स को भी सम्बोधित किया।
इस अवसर के कुछ फ़ोटो आपके साथ साझा कर रहे हैं।"""""""

Thursday, February 4, 2016

पत्रकारिता के बड़े संस्थान IIMC में भी सुरक्षित नहीं हैं दलित !

पत्रकारिता के बड़े संस्थान IIMC में भी सुरक्षित नहीं हैं दलित !



नई दिल्ली. नई दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (IIMC) में जातीय भेदभाव से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है. दलित-आदिवासी कम्युनिटी से संबंध रखने वाले कुछ स्टूडेंट्स की शिकायत के बाद IIMC प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
 
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक IIMC के ही कुछ सवर्ण छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने संस्थान में मौजूद SC/ST कम्युनिटी के छात्रों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव किया. पूरा मामला हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या से शुरू हुआ. 
 
रोहित वेमुला आंदोलन को सपोर्ट करने की वजह से शुरू हुई छींटाकशी
 
पूरे देश में रोहित के पक्ष में जारी आन्दोलन को IIMC के भी SC/ST छात्रों ने सपोर्ट करना शुरू किया जो संस्थान के ही कुछ सवर्ण छात्रों को बुरा लगा. दलित स्टूडेंट्स का आरोप है कि उनके ही कुछ सवर्ण साथियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये उन पर अभद्र कमेन्ट किये.
 
छात्रों का आरोप है कि मामला सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक ही नहीं रहा. इन सवर्ण स्टूडेंट्स ने कैंपस के अंदर भी अभद्र और जातिवादी कमेंट्स शुरू कर दिए. इसी ग्रुप के एक लड़के ने रिजर्वेशन को लेकर फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट लिख दी जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया.
 
एससी-एसटी आयोग ने मामले पर आईआईएमसी से जवाब मांगा
 
इसके बाद दलित समुदाय के स्टूडेंट्स ने SC/ST कमीशन से इसकी लिखित शिकायत कर दी. कमीशन ने इस बाबत जब IIMC से जवाब मांगा तो पता चला कि संस्थान में अभी तक कोई SC/ST सेल भी नहीं है. 
 
फिलहाल आयोग की दखलंदाजी के बाद IIMC ने मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. जिस छात्र पर आरोप लगा है उसने IIMC प्रशासन से लिखित में माफ़ी मांग ली है. हालांकि SC/ST छात्रों की मांग है कि दोषी लड़के और उसके साथियों को संस्थान से रेस्टिकेट कर उचित कार्रवाई की जाए.

🙏🌷 विचार करीये व जान कर मान लिजीए ।देश के लोकतांत्रिक ढांचे का चौथा खम्भा जहाँ से प्रक्षिक्षण लेकर आरहा हे वहाँ सारे द्रोणाचार्य बैठे हें ।यह लोग वहाँ से तैयार होकर आरहे हें कभी हमारे हकों के लिए नहीं लड सकते कभी हमाी बात दिल से नहीं रख सकते यह हे असलियत ।हमें इनकी हर खबर पर शंका होनी चाहिए ।🙏🌷 जय मुलनिवासी

द्रोणचार्यों से बच्चों को बचाओ

अब तक साइंस यानी केमिस्ट्री, फिजिक्स और मेडिसिन के लिए 583 नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं. भारत को सिर्फ चार यानी 04 मिले हैं. क्या इसका कोई दायित्व उन सवर्ण पुरुष प्रोफेसरों पर नहीं है, जो भारत के उच्च शिक्षा केंद्रों पर 90 से 95% तक कब्जा जमाए बैठे हैं?
भारत में दुनिया की 17%आबादी रहती है. लेकिन उसके विशाल हिस्से को ज्ञान, विज्ञान के केंद्रों से दूर रखा गया है. ऐसा करने वाले लोग देशद्रोही हैं. ज्ञान, विज्ञान के क्षेत्र में विविधता का विरोध करने वाले द्रोणचार्यों से बच्चों को बचाओ!
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विचारार्थ :
ब्राह्मणवादी मीडिया ने दिल्ली पुलिस के लाठी चार्ज के वीडियो को इतने धुआंधार तरीके से क्यों दिखाया?
क्योंकि...
1. रोहित वेमुला मामले में शुरुआती और जानबूझकर की गई अनदेखी की वजह से ब्राह्मणवादी मीडिया की साख शून्य पर पहुंच चुकी थी. दिल्ली और देश के ज्यादातर शहरों में आंदोलनकारियों ने अपने कार्यक्रमों के मीडिया इनविटेशन तक नहीं दिए. प्रेस रिलीज नहीं दी. खोई साख को फिर से हासिल करने के लिए मीडिया को कुछ तो करना था.
2. पुलिस पिटाई का प्रश्न अगर ज्यादा उभरता है, तो यूनिवर्सिटीज में जाति उत्पीड़न का सवाल पीछे जा सकता है. ऐसा हुआ तो मीडिया को बुरा नहीं लगेगा.
3. मनुस्मृति ईरानी के इस्तीफे की मांग तकलीफ देती है. पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे की मांग से किसे दिक्कत है? आखिर में चार कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर ही तो करना पड़ेगा. साथ में थानेदार का निलंबन... हो जाएगा.
4. लेकिन द्रोणाचार्य का क्या होगा? वह तो किसी और रोहित वेमुला का शिकार कर रहा होगा. मूल प्रश्न तो द्रोणाचार्यों से मुक्ति पाने का है. यह आंदोलन तो रोहित वेमुलाओं की जान बचाने का है. यूनिवर्सिटीज में जातिगत भेदभाव खत्म करने का है.
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आज से 30 दिन पहले रोहित वेमुला क्या सोच रहा था?
उस समय जबकि मनुस्मृति ईरानी और बंदारू दत्तात्रेय तथा आलोक पांडे और अप्पा राव के षड्यंत्रों की वजह से उसके यूनिवर्सिटी में सामाजिक बहिष्कार का आदेश हो चुका था, तो उसके मानस में क्या चल रहा था?
3 जनवरी, 2016 को रोहित वेमुला ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर माता सावित्रीबाई फुले की कविता लगाई, जो उसे उसके मित्र मुंसिफ भाई ने दी थी. इसमें लोगों से आह्वान है कि पेशवाई के खात्मे के बाद उनके लिए पढ़ने लिखने के मौके खुल गए हैं, उनका लाभ उठाएं.
रोहित ने सावित्रीबाई फुले की 185 वीं जयंती पर आदिवासी, दलित, ओबीसी, सिख, ईसाई, मुसलमानों के हाशिए पर होने और उनके संघर्षों की बात लिखी. उसने खास तौर पर महिला अधिकारों की बात की.
रोहित वेमुला के न रहने पर जो चौतरफा शोक है, उसे आप इस तरह से समझ सकते हैं. वह मुकम्मल इंसान और सच्चा नागरिक था.
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रोहित वेमुला मुद्दे पर चल रहे आंदोलन को लगातार 16 दिनों तक टिकाए रखने और शिक्षा केंद्रों के ब्राह्मणीकरण को केंद्रीय सवाल के तौर पर बनाए रखने में बामसेफ, मूलनिवासी संघ और भारतीय विद्यार्थी मोर्चा की बेहतरीन भूमिका रही है.
कस्बों और तहसील तक फैले देशव्यापी संगठन के बूते ये लोग जमीनी स्तर पर RSS जैसे संगठनों को चुनौती पेश कर रहे हैं. ये संगठन हजारों की संख्या में प्रदर्शन कर चुके हैं. इनके बगैर यह मुद्दा राष्ट्रीय न बन पाता.

रोहित वेमुला के फेसबुक प्रोफाइल पर आप पायेंगे कि वह बामसेफ से प्रभावित था और अक्सर उससे संबंधित स्टेटस शेयर करता था.
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एक जाति के पुरुषों के असंतुलित वर्चस्व यानी दबदबे से भारत की उच्च शिक्षा को जहां तक पहुंचना था, वहां तक वह पहुंच चुकी.
जितने कम नोबेल पुरस्कार आप ला पाए, वह हम देख चुके हैं. वर्ल्ड रैंकिंग में हमारी यूनिवर्सिटीज को जितना नीचे जाना था, वे जा चुकी हैं, पेटेंट का जितना अकाल पड़ना था, पड़ चुका....इसलिए अब हटिए.
बाकियों को स्पेस दीजिए. कंपिटीशन का दायरा बढ़ने दीजिए. हर जाति, बिरादरी से टैलेंट को आने दीजिए. एडजस्ट करना सीखिए.
कब तक रोहित वेमुलाओं को मारते रहेंगे. अब चलिए भी. बहुत देख लिया आप लोगाें का टैलेंट.
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IIT के डायरेक्टर्स की कमेटी ने ट्यूशन फीस में 200% बढ़ोतरी की सिफारिश की है. आज के इकोनॉमिक टाइम्स में पहले पन्ने की खबर है... ये सरकार है या जल्लादों का गिरोह? और ये डायरेक्टर हैं या छात्रों के दुश्मन? फेलोशिप देंगे नही, फीस तीन गुना कर देंगे. टॉपर बच्चे का सामाजिक बहिष्कार कर देंगे. लाइब्रेरी नहीं जाने देंगे. ये किस तरह के लोग हैं?

अब जबकि सरकार जबर्दस्ती जाति बता रही है, तो पूछ ही लिया जाए कि ये सारे IIT डायरेक्टर लोग कौन जात हैं? आखिर किस जाति के लोग इस कदर शिक्षा और स्टूडेंट विरोधी होते हैं?
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ध्यान रहे कि मनुस्मृति ईरानी और बंदारू दत्तात्रेय के इस्तीफे और तमाम विश्वविद्यालयों में SC, ST, OBC कोटे के खाली पड़े शिक्षक पदों को भरने तथा कैंपस में जातिवाद खत्म करने का आंदोलन, दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल और थानेदार की बर्खास्तगी का आंदोलन न बन जाए...
ब्राह्मणवादी मीडिया ठीक यही चाहेगा.

यह शिक्षा क्षेत्र के लोकतांत्रिकरण का आंदोलन है. यह यूनिवर्सिटीज में सवर्ण पुरुष वर्चस्व और ब्राह्मणवाद से मुक्ति का आंदोलन है. यह रोहित वेमुलाओं की जान बचाने का आंदोलन है.
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दक्षिण भारत में बहुजन समाज पार्टी, BSP की चल रही न्याय यात्रा के वैन पर आ गया है रोहित वेमुला...और आपको लग रहा था कि बच्चे हैं, मसलकर खत्म कर दोगे... द्रोणाचार्यों को महंगा पड़ेगा.

धरती पर गिरा यह खून बहने की जगह जम गया है. पता नहीं कि यह कितने रूप में कहां कहां नजर आएगा.
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नरेंद्र मोदी के रोहित वेमुला के लिए बहाए आंसुओं पर जब संघी भक्तों ने भरोसा नहीं किया और मां भारती के लाल को लेकर तमाम तरह के अपशब्द, गाली गलौज करते रहे, तो हम कैसे मान लें कि मोदी के आंसू असली थे.
मोदी के आंसू पर न तो सुषमा स्वराज ने भरोसा किया और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने. ये सब मां भारती के लाल की जाति खोज रहे हैं.

मोदी के आंसू नकली हैं! यकीन न हो तो जाकर किसी भी संघी से पूछ लीजिए.
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नागपुर में "रोहित वेमुला फाइट्स बैक" रैली करने वालों ने तय किया कि मीडिया को कोई प्रेस रिलीज नहीं दी जायेगी. अगले दिन अखबारों ने लिखा - साढ़े तीन किलोमीटर लंबी रैली... मीडिया ने मजबूर होकर कवरेज दिया. शहर के सारे अखबारों को बड़ी खबर छापनी पड़ी.
इस आंदोलन को न तो मीडिया ने शुरू किया है और न ही चैनलों और अखबारों की अनदेखी या साजिशों से यह थमेगा. भारत में सोशल मीडिया युग का यह पहला राष्ट्रीय आंदोलन है. ब्राह्मणवादी मीडिया अब अपनी साख की चिंता करे.

आप सभी हैं पत्रकार!
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रोहित वेमुला को लेकर इतने दिनों से इतना बड़ा देशव्यापी आंदोलन चला कौन रहा है? इसके पीछे कौन है?
इस सवाल का पूरा नहीं, लेकिन थोड़ा सा जवाब मेरे पास है. आज रात आपमें से ज्यादातर लोग जब अपनी डायनिंग टेबल पर डिनर कर रहे होंगे, तो लगभग 30 भीमसैनिक दिल्ली की ठंड में एक बस्ती में जुलूस निकालकर लोगों को रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के बारे में बता रहे थे. इनमें सभी PhD और MPhil स्टूडेंट्स हैं. इनमें कई आगे चलकर प्रोफेसर और ब्यूरोक्रेट बनेंगे. लेकिन आज वे पढ़ाई के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा रहे हैं. आंदोलन में इनका भी दम लगा है. हजारों लोग, जो तमाम विचारधारा के हैं, उनके दम से चल रहा है आंदोलन.
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श्री अजित डोवाल,
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, 
भारत सरकार.
प्रिय मिस्टर डोवाल,
मुझे मालूम है कि आप इन दिनों काफी व्यस्त हैं. आपके कार्यालय में कास्ट सर्टिफिकेट जांचने का जो स्पेशल सेल खुला है, वह काफी तत्परता से काम कर रहा है. बधाई.
लेकिन आप शायद भूले नहीं होंगे कि आपका मुख्य काम देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करना है. मैं आशा करता हूं कि आप सांप्रदायिक शक्तियों पर खास नजर रख रहे होंगे, जिनसे राष्ट्रीय एकता को सबसे बड़ा खतरा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश, मालदा और मध्य प्रदेश के धार पर स्वाभाविक रूप से आपकी पैनी नजर होगी क्योंकि ये इलाके लगातार गलत कारणों से चर्चा में हैं. उम्मीद है कि आप राष्ट्र की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे ताकि देश में अमन चैन बना रहे.
वैसे, आपके दफ्तर से जिस तरह रोहित वेमुला की जाति की खबर लीक होकर मीडिया में आई, उससे मैं चिंतित हूं. देश की सुरक्षा जिस दफ्तर के जिम्मे हो, वहां से सूचनाओं का लीक होना अच्छी बात नहीं है.
आपका,
एक आम भारतीय नागरिक
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क्यों सुषमा जी,
कोई आदमी प्रधानमंत्री की जाति का हुआ तो सरकार मार डालेगी?

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दफ्तर में कास्ट सर्टिफिकेट जांचने का स्पेशल सेल बना है. उनसे कहकर नरेंद्र मोदी जी के कास्ट सर्टिफिकेट की भी जांच करवा दीजिए. 2002 में ओबीसी लिस्ट में जो बदलाव हुए थे, उसकी भी जांच हो जाए?
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 बुद्ध और अशोक शाक्यवंशीय, कबीर जुलाहा, फुले माली, शाहूजी महाराज कुनबी मराठा, पेरियार ओबीसी, संतराम कुम्हार, नारायणा गुरु इझावा, कयूम अंसारी पसमांदा, ललई सिह यादव, कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़े, रामस्वरूप वर्मा कुर्मी, जगदेव प्रसाद कुशवाहा, सोनेलाल पटेल कुर्मी... ये सब और ऐसे सैकड़ों लोग बहुजन नायक हैं. बाबा साहेब की परंपरा इन सबसे जुड़ती है, इसलिए उनका नाम मैं सबसे पहले लेता हूं.
संघी लोग हिसाब लगाते रहें कि कौन दलित है और कौन ओबीसी. बहुजन तो सवर्ण वीपी सिंह को भी आदर से याद करता है. ये झगड़ा इस बार लग नहीं पा रहा है. क्यों संघियों, दिक्कत हो रही है?
ब्राह्मणवादियों ने जाति न बनाई होती, तो ये सारे महापुरुष इंसान पैदा हुए थे. ये महापुरुष इसलिए हैं क्योंकि इन्होंने तुम्हारी बनाई जाति व्यवस्था को चुनौती दी. रोहित वेमुला इसी परंपरा का इंसान था.
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मुस्लिम औरतें हाजी अली दरगाह में प्रवेश के अधिकार के लिए सड़कों पर उतरीं। भक्तों को हार्ट अटैक वाच पर रख देना चाहिए। 
Muslim women protests against Haji Ali Dargah ban on women devotees. Bhakts must be put on Heart Attack Watch.
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शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश पर अड़ी महिला साथियों को पुलिस ने रोका। आइये, इस्लाम में स्त्रियों पर होने वाले अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हैं। :)
Women attempting to enter ShaniShingnapur temple stopped by the Police. Time to condemn the way women are treated in Islam.
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पद्मविभूषण 10 को , जिसमें सवर्ण 10, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 0
पद्मभूषण 19 को जिसमें सवर्ण 17, पिछड़ा 0, दलित 0, अल्पसंख्यक 2
पद्मश्री 83 को जिसमें सवर्ण 79, पिछड़ा 1, दलित 0, अल्पसंख्यक 3
क्या यही है, सबका साथ- सबका विकास?
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बंदारू दत्तात्रेय की जाति के बारे में सरकार राष्ट्र को बता चुकी है. इसलिए, रहा सहा पर्दा भी अब सरकार को उठा ही देना चाहिए.
इन दिनों कास्ट सर्टिफिकेट जांचने की जिम्मेदारी संभाल रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की भी एक जाति होगी. किस जाति के हैं वे? चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर आलोक पांडे की भी तो कोई जाति है. वह क्या है? कुलपति अप्पा राव की भी तो कोई जाति होगी? सामाजिक बहिष्कार का आदेश लिखने वाले विपिन श्रीवास्तव? मनुस्मृति ईरानी? यूजीसी के चेयरमैन वेदप्रकाश? केंद्रीय शिक्षा सचिव? इन सबकी भी तो कोई जाति है..... रोहित की जाति है, तो ये सब कौन जात हैं?
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दिल्ली मैट्रो की सच्ची घटना
जय यौद्धेय . मेरे एक दोस्त राकेश नाहर , जाति जाटव(चमार) ने मुझे दिनांक 27 जनवरी की अपनी आपबीती सुनाई , जब वह दिल्ली मेट्रो में इंदरलोक से पीरागढ़ी जाने के लिए मेट्रो में घुसा ही था तो उसे कुछ अरोड़ा / खत्रिओं (लाहौरी हिंदू ) के लड़के एक 80 वर्षिये बजुर्ग जाट के साथ बदतमीजी करते और उसे जोर जोर से धमकाते नजर आये तो मेरे इस दोस्त से नहीं रहा गया , इसने इन लाहौरी हिंदुओं से पूछा कि ये इस बज़ुर्ग को क्यूँ परेशान कर रहे हैँ तो इन्होंने कहा कि यह बुड्ढा लाइन में खड़ा ना होकर सबसे आगे खड़ा हो गया था तो इस पर मेरे इस दोस्त ने कहा कि तो इसमें इस बज़ुर्ग ने क्या गुनाह कर दिया ,उल्टा तुमको ही इस बज़ुर्ग की उमर का लिहाज करके इसको जगह देनी चाहिये थी .
इस बात पर ये लाहौरी हिंदू मेरे दोस्त से उलझने लगे ,जिस पर मैट्रो में खड़े कुछ और हरयाणा के जाटोँ ने मेरे इस दोस्त का पक्ष लेते हुए इन लाहौरी रिफ्यूजी हिंदूज को धमका कर शांत करवाया .
कुछ देर के बाद शांति होने पर ये रिफ्यूजी आपस में बात करने लगे और कहने लगे कि हरयाणा का आदमी बदमाश होता है ,जिस पर नजदीक खड़े एक उड़ीसा के व्यक्ति ने कहा कि ऎसा नहि है क्योँकि हमने उड़ीसा में हरयाणा के आर्मी के जवानों के साथ काम किया है ,उलटा हरयाणा का आदमी तो बदमाशों की बदमाशी खतम करने वाला होता है . इस दौरान मेरे इस दोस्त ने इन रिफ्यूजी अरोरा /खात्रीओं से पुछा की ये कहाँ उतरेंगे और ये कहाँ से हैँ , तो इन लाहौरी हिंदूज़ ने बताया कि ये पीरागढ़ी में उतरेंगे और वहां से हरयाणा जायेंगे और ये हरयाणा से ही हैँ. इस पर वहाँ मैट्रो में खड़े सभी लोग हंसने लगे .
इसके बाद यह जाट बज़ुर्ग जिसको मुंडका उतरना था मेरे दोस्त को धन्यवाद देने लगा जिस पर मेरे इस चमार मित्तर ने कहा कि यह तो हमारा फ़र्ज़ है .
इस पर इस बुजुर्ग ने बहुत काम की बात कही कि बेटा हमारे जवान तो बस में , मैट्रो में किसी भी अरोड़ा /खत्री बज़ुर्ग को अपनी सीट दे देते हैँ , जबकि मैंने आज तक किसी भी अरोड़ा / खत्री के लड़के को किसी गाँव के बज़ुर्ग आदमी को अपनी सीट देते नहीं देखा और ये लोग जिस हरयाणा का खा रहे हैँ ,उसी को गालियां देते हैँ. यह नमकहरामी की हद्द है .
मेरे दोस्त को पीरागढ़ी उतरना था ,वह उतर गया . साथिओं जिस दिन जाट और चमार में एक दुसरे के लिए यह आपसदारी की भावना पैदा हो
यूनियनिस्ट मिशन इसी हमारे पुराने भाईचारे को फिर से एक करने में लगा हुआ है .
आपसे निवेदन है की इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें .
_मनोज दूहन , व्हाट्सएप्प @ 9728888931
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हालात ऐसे हैं कि नाम में मिश्रा, तिवारी,पांडे,द्विवेदी,त्रिवेदी, चतुर्वेदी, वाजपेई,शुक्ला, दीक्षित, ओझा,पाठक,
लगा हो तो आप यूपी में लोकायुक्त बन सकते है
और अगर आप अहीर , कुर्मी,काछी,लोधी,नाई,बढ़ई,लोहार,कुम्हार ,सुनार,कलार,कलवार,चमार,पासी,तेली,भंगी हैं तो आप कभी भी यूपी का लोकायुक्त नहीं बन सकते।।
जनेऊधारी यूपी में मनुस्मृति का शासन लाने की योजना पर काम कर रहे हैं।।लोकायुक्त की नियुक्त इसकी शुरूआत है।।
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डर तो लग रहा है सरकार को भी और सरकार के बाप आरएसएस को भी। तभी तो ढेर सारे मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक रोहित वेमुला की जाति बताने में लगे हैं। पुलिस के साथ घुसकर आरएसएस के गुंडे प्रदर्शन कर रहे निहत्थे एससी एसटी ओबीसी बच्चे-बच्चियों को पीट रहे हैं। कुछ बड़ी उथल पुथल होने की आशंका इनको हो रही है तो बेवजह नहीं। जाति से काम नहीं चला तो मामला पुलिस ज्यादती का बनाने की कोशिश एक और पैंतरा है। पर, कुछ भी कर लो, कुछ बड़ा तो होने वाला है।
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मोदी सरकार का क्रांतिकारी फ़ैसला।
डीज़ल चार पैसे और पेट्रोल पाँच पैसे सस्ता।
इस तरह से हर महीने अपनी कार में डीज़ल डलवाने के बाद मुझे पूरे पचास रूपए सोलह पैसे की बचत हो जाएगी। 
इन पैसों को मैं जनधन योजना वाले बैंक अकाउंट में डाल कर उसका ब्याज खाऊँगा। पार्टी करूँगा। मूवी देखूँगा। जो बच जाएगा उससे भाजपाईयों के लिए पटरी वाली निक्कर ख़रीदूँगा।
फिर भी कुछ पैसे बचते हैं तो स्टार्टअप इंडिया के तहत मुर्ग़ी पालन करूँगा। गाय भैंस तो पाल नहीं सकता।
फिर कुछ पैसा बचेगा तो गैस सब्सिडी छोड़ने का विचार करूँगा। इसके बाद भी कुछ बच जाता है तो अच्छे दिनों का वादा करने वालों की *#%# में डाल दूँगा।
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हैदराबाद से दिल्ली। दिल्ली से बंबई, नागपुर, बनारस, इलाहाबाद, पटना, जयपुर...यह आग नहीं थमने वाली साहेब। चलाओ लाठी। मारो गोली। लगाओ आग। फैलाओ अफवाह। अंबेडकरवादी, मानवतावादी, संविधान वादी, मार्क्सवादी, उदारवादी, नारीवादी....और सबसे अधिक देश से प्यार करने वाला आम नागरिक अब विपक्ष है। इसे मैनेज करना संभव नहीं आपके लिए।
कैंपसों को नहीं छेड़ा है तुमने संघियों अपनी क़ब्र खोदी है। विद्रोही छात्रों पर पड़ी एक एक लाठी तुम्हारी ताबूत का आख़िरी कील साबित होगी। ये डरने वाले बंदे/बंदियाँ नहीं हैं।
जय भीम 
इंकलाब ज़िंदाबाद 
हमारी जान - भारतीय संविधान

Monday, February 1, 2016

मंत्रालय बार-बार रिमाइंडर भेजकर विश्वविद्यालय पर रोहित वेमुला पर कार्रवाई करने का दवाब बना रहा था

Written by : नेशनल दस्तक ब्यूरो
Date : 2016-01-20

नई दिल्ली। दलित छात्र रोहित खुदखुशी मामले में एक अहम जानकारी सामने आई है, रोहित वेमुला के निलंबन के लिए मानव संसाधन (एचआरडी) मंत्रालय से कई बार पत्र लिखे गये थे और हैदराबाद विश्वविद्यालय पर दबाव बनाया गया था। मंत्रालय बार-बार रिमाइंडर भेजकर विश्वविद्यालय पर रोहित वेमुला पर कार्रवाई करने का दवाब बना रहा था। हालांकि मंत्रालय इन आरोपों का खंडन कर रहा है। छात्र खुदकुशी मामले पर जाने-माने साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने अपनी डी-लिट की उपाधि भी वापस कर दी है। यह उपाधि उन्हें हैदराबाद विश्वविद्यालय से मिली थी।
 
रोहित ने रविवार को होस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। मंत्रालय का खंडन तब सामने आया, जब यह बात सामने आई है कि मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय द्वारा 17 अगस्त 2015 को लिखे पत्र को लेकर चार रिमांइडर सहित पांच पत्र विश्वविद्यालय को लिखे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रवक्ता घनश्याम गोयल ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि मंत्रालय ने विश्वविद्यालय पर किसी प्रकार का दबाव डाला था। मंत्रालय ने केवल सेंट्रल सेक्रेटेरियट मैनुअल ऑफ ऑफिस प्रोसीजर का पालन कर रहा था। गोयल आगे कहते कि प्रक्रिया के मुताबिक अगर किसी वीआईपी का अनुमोदन होता है तो इस बात का 15 दिनों में संज्ञान लेना होता है और अगले 15 दिनों में उसका जवाब देना होता है। चूंकि विश्वविद्यालय की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद ही मंत्रालय की ओर से रिमांइडर भेजे गए थे।

सूत्रों के मुताबिक  मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी को पहला पत्र 3 सितंबर 2015 को भेजा था। इसके बाद 24 सितंबर, 6 अक्टूबर, 20 अक्टूबर और 19 नवंबर को रिमाइंडर भेजे गए थे। अधिकारियों ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने आखिरकार 7 जनवरी को अपना जवाब भेजा। विश्वविद्यालय में दो छात्र संगठनों के बीच झड़प के बाद दत्तात्रेय ने एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा था। झड़प में भाजपा से संबंधित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक छात्र नेता सुशील कुमार पर हमला किया गया था।

Friday, January 29, 2016

AIIMS ने अपने इतिहास में पहली बार अपने एक टीचर/प्रोफेसर/डॉक्टर को टर्मिनेट यानी बर्खास्त किया है

AIIMS ने अपने इतिहास में पहली बार अपने एक टीचर/प्रोफेसर/डॉक्टर को टर्मिनेट यानी बर्खास्त किया है. वह भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सीधे और लिखित हस्तक्षेप के कारण. 

क्या आप उनसे मिलना नहीं चाहेंगे? अगर आप चाहते है कि कोई और रोहित वेमुला न बने, तो आपको उनसे मिलना चाहिए. तमाम बड़े अखबारों में यह तो छप चुका है कि एम्स के प्रोफेसरों ने इस बर्खास्तगी का विरोध कर दिया है. अब आगे पढ़िए. 

पहले यह जानिए कि उन्हें टर्मिनेट किसने किया. यह आदेश इसी साल 6 जनवरी को जारी हुआ है. रोहित के केस की ही तरह यहां सीधे केंद्रीय स्तर से हस्तक्षेप है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पंडित जे. पी. नड्डा इन्वॉल्व हैं. पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्री की सहमति से आदेश जारी किया जा रहा है. पत्र पर डायरेक्टर एमसी मिश्रा और डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन वी. श्रीनिवासन के दस्तखत हैं. शिकायत मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड एस. के. शर्मा की है. अब इन बेचारों का क्या दोष, अगर ये सभी एक ही जाति के हैं. पत्र में बर्खास्तगी का कोई कारण नहीं बताया गया है. 

अब मिलिए डॉक्टर और एसिस्टेंट प्रोफेसर कुलदीप से. किंग्स जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से MBBS हैं. सर्जरी और ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशल ऑनर मिला. 2002 में ऑल इंडिया पीजी एंट्रेंस के भारत में 8th रैंकर हैं. इसलिए अनरिजर्व कैटेगरी से देश के श्रेष्ठ मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में MD में एडमिशन मिला. एम्स में सीनियर रेजिडेंट रहने के दौरान आउटस्टैडिंग सर्विस का सर्टिफिकेट मिला. अभी एम्स में एचआईवी संक्रमण के टॉप डॉक्टर होने के नाते क्लिनिक हेड कर रहे थे. प्रतिभा को देखते हुए, मेडिसिन डिपार्टमेंट का हेड बनना तय था. वे इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी भी हैं. 

बस फिर क्या था, ब्राह्मणवादी गिरोह उन्हें निपटाने में जुट गया और जब निकाला तो कारण बताने की औपचारिकता भी नहीं निभाई. क्योंकि कोई कारण है भी नहीं. जो कारण है, वह आप फोटो में देख सकते हैं. 

लेकिन वे डॉक्टर कुलदीप को चुपचाप निगल नहीं पायेंगे. एम्स के प्रोफेसरों की एसोसिएशन ने 11 जनवरी को डॉयरेक्टर मिश्रा का घेराव किया. जनहित अभियान के साथी Raj Narayan भी जुट गए हैं. इस बारे में सारे डॉक्यूमेंट्स वे अपलोड करेंगे.

अगर इन वजहों से डॉक्टर कुलदीप कल को अमेरिका या यूरोप चले जाते हैं तो मरीजों और देश को हुए नुकसान की भरपाई नड्डा करेंगे कि मिश्रा?
~Dilip C Mandal~

Thursday, January 28, 2016

MURDER .... MURDER.... MURDER......

MURDER .... MURDER.... MURDER......
I would like to inform to all of my friends about ROHIT VEMULA's life.
Rohit Vemula, PHD SCHOLAR (President of AMBEDKARITE STUDENT ASSOC.) has neither done suicide nor thought to finish his own life. In fact he has been killed by AVBP's students by nylon rope and they hanged Rohit on the fan in his room and also kept suicide note with his body.
This is How & what are the logics and that are:
1) Watch carefully conversation between ROHIT & AVBP students just before ABVP killed ROHIT, how roudly they behaved with Rohit. And a dress code is also matching with his death body & vedio of communication with ABVP
2) If u see a photograph (plz refer vedio) of Rohit's death body, his both hand fingers are closed like when we make a hand punch where that should have been opened and also his tongue was not that much out of his mouth as it should have been.
In this matter When I consulted one of my friend Mahendra who is a photographer and done photography of many suicide cases with many policemens. And he mentioned to me and also it is a scientific logic that when a person hanged himself / herself then his / her hand fingers becomes loose always opened and tongue about 40% is coming out of mouth.
3) If u all see carefully, it has been shown that there is a blue cloth tied on the fan on which Rohit hanged himself but in actual u all will see that there are symbol of nylon rope around his neck. And this blue cloth has been tied by ABVP students after they killed Rohit...
4) ABVP student namely SUSHILKUMAR says that ROHIT VEMULA came with 30 to 40 students in his hostel room and they all beat him and they forcefully made Sushilkumar to write a EXCUSE LETTER against his complaint. 
Then question is (a) A person like ROHIT who is interested in riots / beating the innocent people, can he do suicide / can he finish his own life? (b) when Rohit can make a mop of 30 to 40 people, can he go in depression?
5) If ROHIT wanted to finish his life in depression then he would have been finished it when he has been restrigated from the university bcaz his restrigation was the main point of his depression as his economic background was not strong.
6) This is very Practicle that any person who has studied all Dr. B. R. Ambedkar's literature and following Ambedkars ideology in personal life, then he / she will never go for suicide instead of that he / she get ability to fight for their own & social problems till his / her natural or artificial death....
7) ROHIT was not a common student. He was a scholar and motivated himself by Dr. B. R. Ambedkar tackled all the the bad periods and reached upto his PHD which is a higher qualification (Expected by Dr. B. R. AMBEDKAR for depressed classes).
8) ROHIT was a SCIENCE & TECHNICAL SCIENCE PHD SCHOLAR who will not make any mistakes / erasing work in suicide note which is fake suicide note made by ABVP students.
9) Last but not least a Scholar running his life with the ideologies of Great people like GAUTAM BUDDHA, DR. B. R. AMBEDKAR, MATA RAMAI AMBEDKAR, MAHATMA JYOTIRAO PHULE, MATA SAVITRIAAI PHULE, SANT KABIR, PERIYAR SWAMI etc. Will never go for suicide and finish his life. In fact he / she will for own n for others....

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